10th Class History Chapter 3 हिंद-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन
दोस्तों इस पोस्ट में मैं आपको बिहार बोर्ड 10th Class History Chapter 3 हिंद-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन पाठ के सभी प्रश्नों को बिल्कुल आसान भाषा में उत्तर देने का प्रयास किया हूँ उम्मीद करता हूँ की आपको काफी पसंद आएगी। अगर आपलोग गणित विषय की तैयारी करना चाहते हैं तो आप हमारे Youtube Channel Unlock Study पर जा कर अपनी तैयारी कर सकते हैं या दिये गए Link पर Click कर के भी यूट्यूब चैनल पर जा सकते हैं।
3. हिंद-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन
नीचे आपको इस पाठ की मुख्य बातें दी गई हैं जिसे आप अध्यन कर इस पाठ के बारे में बहुत कुछ जान सकते हैं।
⇒25 दिसम्बर, 1955 ई० को लाओस में चुनाव के बाद राष्ट्रीय सरकार का गठन हुआ और सुवन्न फूसा के नेतृत्व में सरकार बनी ।
⇒1903 ई० में फान-बोई-चाऊ ने ‘दुई-तान हुई’ नामक एक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की जिसके नेता कुआंग दें थे।
⇒होआ-होआ एक बौद्धिक धार्मिक क्रांतिकारी आंदोलन था जो 1939 ई० में शुरू हुआ था जिसके नेता हुइन्ह-फू-सो था।
⇒फान बोई चाऊ ने “द हिस्ट्री ऑफ द लॉस ऑफ वियतनाम लिखकर हलचल पैदा कर दी।
⇒हिंद-चीन के अन्तर्गत आज के वियतनाम, लाओस और कंबोडिया के क्षेत्र आते हैं।
⇒12वीं शताब्दी में राज सूर्यवर्मा द्वितीय ने अंकोर मंदिर का निर्माण करवाया ।
⇒1925 ई० में हो ची मिन्ह ने ‘वियतनामी क्रांतिकारी दल’ का गठन किया।
⇒17वीं शताब्दी में बहुत से फ्रांसीसी व्यापारी पादरी हिंद-चीन पहुँच गए।
⇒9 अक्टूबर 1970 ई० को कंबोडिया को गणराज्य घोषित किया गया ।
⇒चौथी शताब्दी कम्बुज भारतीय संस्कृति का प्रधान केन्द्र बना ।
⇒1783 ई० में तोंकिन में फ्रांसीसी सेना का प्रवेश हुआ ।
⇒हिंद-चीन में बसने वाले फ्रांसीसी कोलोन कहे जाते थे ।
⇒जोन्गुएन आई ने अनामी दल की स्थापना की थी।
⇒1498 ई० में बास्कोडिगामा ने भारत की खोज की।
पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर
वस्तुनिष्ठ प्रश्न-
1 नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर रूप में चार विकल्प दिए गए हैं। जो आपके सर्वाधिक उपयुक्त लगे उनमें सही का चिह्न लगावें ।
1. हिंद-चीन क्षेत्र में कौन से देश आते हैं ?
(क) चीन, वियतनाम, लाओस
(ख) हिंद-चीन, वियतमान, लाओस
(ग) कंबोडिया, वियतनाम, लाओस[
(घ) कंबोडिया, वियतनाम, चीन, थाईलैण्ड
(ग) कंबोडिया, वियतनाम, लाओस
2. अंकोरवाट का मंदिर कहाँ स्थित है ?
(क) वियतनाम
(ख) थाईलैण्ड
(ग) लाओस
(घ) कम्बोडिया
(घ) कम्बोडिया
3. हिंद-चीन पहुँचने वाले प्रथम व्यापारी कौन थे ?
(क) इंगलैण्ड
(ख) फ्रांसीसी
(ग) पुर्तगाली
(घ) डच
(ग) पुर्तगाली
4. हिंद-चीन में बसने वाले फ्रांसीसी कहे जाते थे ?
(क) फ्रांसीसी
(ख) शासक वर्ग
(ग) कोलोन
(घ) जेनरल
(ग) कोलोन
5. नरोत्तम सिंहानुक कहाँ के शासक थे ?
(क) वियतनाम
(ख) लाओस
(ग) थाईलैण्ड
(घ) कम्बोडिया
(घ) कम्बोडिया
6. “द हिस्ट्री ऑफ द लॉस ऑफ वियतनाम” किसने लिखा ?
(क) हो-ची-मिन्ह
(ख) फान बोई-चाऊ
(ग) कुआंग
(घ) त्रियु
(ख) फान बोई-चाऊ
7. मार्च 1946 ई० में फ्रांस एवं वियतनाम के बीच होने वाला समझौता किस नाम से जाना जाता है ?
(क) जेनेवा समझौता
(ख) हनोई समझौता
(ग) पेरिस समझौता
(घ) धर्मनिरपेक्ष समझौता
(ख) हनोई समझौता
8. किस प्रसिद्ध दार्शनिक ने एक अदालत लगाकर अमेरिका को वियतनाम युद्ध के लिए दोषी करार दिया ?
(क) रसेल
(ख) हो-ची-मिन्ह
(ग) नरोत्तम सिंहानुक
(घ) रूसो
(क) रसेल
9. हिंद-चीन क्षेत्र में अंतिम युद्ध समाप्ति के समय अमेरिकी राष्ट्रपति कौन थे ?
(क) वाशिंगटन
(ख) निक्सन
(ग) जार्ज बुश
(घ) रूजवेल्ट
(ख) निक्सन
10. होआ-होआ आंदोलन किस प्रकृक्ति का था ?
(क) क्रांतिकारी
(ख) धार्मिक
(ग) साम्राज्यवादी समर्थक
(घ) क्रांतिकारी धार्मिक
(घ) क्रांतिकारी धार्मिक
IL रिक्त स्थानों की पूति करें:
1. 12वीं शताब्दी में राजा सूर्यवर्मा द्वितीय ने अंकोर वाट मंदिर का निर्माण करवाया था।
2. जेनेवा समझौते ने पूरे वियतनाम को दो हिस्से में बाँट दिया।
3. हो-ची मिन्ह का दूसरा नाम न्यूगन आई क्योक था।
4. दिएन-विएन फू के युद्ध में फ्रांसीसी बुरी तरह हार गए ।
5. अनामी दल का संस्थापक जोन्गुएन आई था ।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न.
प्रश्न 1. एक तरफा अनुबंध व्यवस्था क्या थी ?
उत्तर-एक तरफा अनुबंध व्यवस्था-एक तरह की बंधुआ मजदूरी थी वहाँ मजदूरों का कोई अधिकार नहीं था, जबकि मालिक को असीमित अधिकार प्राप्त था।
प्रश्न 2. बाओदायी कौन था ?
उत्तर-गुरिल्ला युद्ध का लाभ उठाते हुए फ्रांस ने पेरिस से बाओदायी को बुलाकर वियतनाम का शासक बना दिया। चूँकि फ्रांस को उम्मीद थी कि कम्युनिस्ट विरोधी वियतनामी बाओदायी का समर्थन करेंगे। बाओदायी पूर्व में अन्नान का शासक था बाद में फ्रांस के समर्थन से दक्षिणी वियतनाम का शासक बना ।
प्रश्न 3. हिंद-चीन का अर्थ क्या है ?
उत्तर-हिंद-चीन के अन्तर्गत आज के वियतनाम, लाओस और कम्बोडिया के क्षेत्र आते हैं। इनकी उत्तरी सीमा म्यानमार एवं चीन को छूती है तो दक्षिण में चीन सागर है और पश्चिम में म्यानमार क्षेत्र पड़ते हैं।
प्रश्न 4. जेनेवा समझौता कब और किनके बीच हुआ ?
उत्तर-1954 ई० में जेनेवा में हिंद-चीन समस्या पर वार्ता हेतु सम्मेलन बुलाया गया जिसे जेनेवा समझौता कहा जाता है। जेनेवा समझौते ने पूरे वियतनाम को दो हिस्सों में बाँट दिया। हनोई नदी से सटे उत्तर का क्षेत्र उत्तरी वियतनाम साम्यवादियों और उससे दक्षिण में दक्षिणी वियतनाम अमेरिका समर्थित सरकार को दे दिया गया।
प्रश्न 5. होआ होआ आंदोलन की चर्चा करें ?
उत्तर-होआ होआ एक बौद्धिक धार्मिक क्रांतिकारी आंदोलन था जो 1939 ई० में शुरू हुआ था जिसके नेता हुईन्ह-फू-सो था। क्रांतिकारी उग्रवादी घटनाओं को भी अंजाम देते थे, जिसमें आत्मदाह तक भी शामिल होता था।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. हिंद-चीन में फ्रांसीसी प्रसार का वर्णन करें।
उत्तर-17वीं शताब्दी में बहुत से फ्रांसीसी व्यापारी पादरी हिंद-चीन पहुँच गए। 1747 ई० के बाद से फांस अन्नान में रुचि लेने लगा। 1787 ई० में कोचीन चीन के शासक के साथ संधि का मौका मिला। 19वीं शताब्दी में अन्नान, कोचीन चीन में फ्रांसीसी पादरियों की बढ़ती गतिविधियों के विरुद्ध उग्र आंदोलन हो रहे थे। फिर भी 1862 ई० में अन्नान को सैन्यबल पर संधि के लिए बाध्य किया गया। उसके अगले वर्ष कंबोडिया भी संरक्षण में ले लिया गया और 1783 ई० में तोकिन में फ्रांसीसी सेना का प्रवेश हुआ। इसी तरह 20वीं शताब्दी के आरंभ तक सम्पूर्ण हिंद-चीन फ्रांस की अधीनता में आ गया ।
प्रश्न 2. रासायनिक हथियारों एवं एजेंट ऑरेंज का वर्णन करें।
उत्तर-रासायनिक हथियार-नापाम यह एक तरह का आर्गेनिक कम्पाउण्ड है जो अग्नि बमों में गैसोलिन के साथ मिलकर एक ऐसा मिश्रण तैयार करता था जो त्वचा से चिपक जाता और जलता रहता था। इसका व्यापक पैमाने पर वियतनाम में प्रयोग किया गया था। रासायनिक हथियार आरेंज एजेंट का भी अमरीकी सैनिकों द्वारा वियतनाम युद्ध में इस्तेमाल किया गया। यह एक ऐसा जहर था जिससे पेड़ों की पत्तियाँ तुरत झुलस जाती थी एवं पेड़ मर जाता था। जंग को खत्म करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता था। इनका इस्तेमाल जंगलों के साथ-साथ खेतों और आबादी दोनों पर जमकर किया। इस जहर का आज भी असर नजर आता है। जन्मजात विकलांगता और कैंसर के रूप में।
प्रश्न 3. हो-ची-मिन्ह के बारे में संक्षिप्त में लिखें।
उत्तर-1917 ई० में हो ची मिन्ह एक वियतनामी छात्र ने पेरिस में साम्यवादियों का एक गुट बनाया। बाद में हो ची मिन्ह शिक्षा प्राप्त करने मास्को गया और साम्यवाद से प्रेरित होकर 1925 ई० में ‘वियतनामी क्रांति दल’ का गठन किया। अन्ततः 1930 ई० में वियतनाम के बिखरे राष्ट्रवादी गुटों को एक जुटकर ‘वियतनाम कांग सांग देंग’ अर्थात् वियतनाम कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की जो पूर्णतः उग्र विचारों पर चलने वाली पार्टी थी। 1954 ई० में जेनेवा समझौता के तहत वियतनाम को दो भागों में बाँट दिया गया। उत्तरी वियतनाम में हो ची मिन्ह की सरकार बनी ।
प्रश्न 4. हो-ची-मिन्ह मार्ग क्या है ? बतावें ।
उत्तर-हो-ची-मिन्ह मार्ग हनोई से चलकर लाओस, कंबोडिया के सीमा क्षेत्र से गुजरता हुआ दक्षिणी वियतनाम तक जाता था जिससे कच्ची-पक्की सड़कें निकलकर जुड़ी थी। अमेरिका सैकड़ों बार उसे क्षतिग्रस्त कर चुका था किंतु वियतनामी उसे तुरत मरम्मत कर लेते थे। इस मार्ग पर नियंत्रण करने के उद्देश्य से अमेरिका लाओस कंबोडिया पर आक्रमण कर दिया था परंतु तीन तरफा संघर्ष में फंसकर उसे वापस होना पड़ा था।
प्रश्न 5. अमेरिका हिंद-चीन में कैसे घुसा चर्चा करें।
उत्तर-अमेरिका हिंद-चीन में फ्रांस को समर्थन देने के बहाने घुसा और धीरे-धीरे साम्यवादियों के विरोध में हस्तक्षेप की नीति अपनाई। इन्हीं परिस्थितियों में मई 1954 ई० में जेनेवा में हिंद-चीन समस्या पर वार्ता हेतु सम्मेलन बुलाया गया, जिसे जेनेवा समझौते के नाम से जाना जाता है। जेनेवा समझौते ने पूरे वियतनाम को दो हिस्से में बाँट दिया-उत्तरी और दक्षिणी वियतनाम । उत्तरी वियतनाम में साम्यवाद समर्थित सरकार बनी जबकि दक्षिणी वियतनाम में अमरीका समर्थित पूँजीवादी सरकार बाओदायी के नेतृत्व में बनी। अमेरिका समर्थित बाओदायी सरकार का संचालन न्यो-दिन्ह दियम के हाथों में था।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. हिंद-चीन उपनिवेश स्थापना का उद्देश्य क्या था ?
उत्तर-फ्रांस द्वारा हिंद-चीन को अपना उपनिवेश बनाने का प्रारंभिक उद्देश्य डच तथा ब्रिटिश कंपनियों के व्यापारिक प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना था। भारत में फ्रांसीसी कमजोर पड़ रहे थे। चीन में उनकी व्यापारिक प्रतिद्वंद्विता मुख्य रूप से इंगलैण्ड से था। अतः सुरक्षात्मक उद्देश्य से हिंदी-चीनी क्षेत्र को सुरक्षित समझकर दोनों तरफ भारत एवं चीन को कठिन परिस्थितियों में संभाल सकते थे। दूसरे औद्योगीकरण के लिए कच्चे माल की आपूर्ति उपनिवेश से होती थी एवं उत्पादित वस्तुओं के लिए बाजार भी उपलब्ध होता था। तीसरे पिछड़े समाजों को सभ्य बनाना विकसित यूरोपीय राज्यों का स्वघोषित दायित्व था।
प्रश्न 2. माई ली गाँव की घटना क्या थी? इसका क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-दक्षिणी वियतनाम में एक गाँव था माईली जहाँ के लोगों को वियतकांग समर्थक मान अमेरिकी सेना ने पूरे गाँव को घेर कर पुरुषों को मार डाला औरतों, बच्चियों को बंधक बनाकर कई दिनों तक सामूहिक बलात्कार किया फिर उन्हें भी मारकर पूरे गाँव में आग लगा दिया। लाशों के बीच दवा एक बूढ़ा जिंदा बच गया था जिसने इस घटना को उजागर किया था। अन्तर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ता ही जा रहा था। उसी समय माईली गाँव की घटना प्रकाश में आयी। अमेरिकी सेना की आलोचना पूरे विश्व में होने लगी। तब राष्ट्रपति निक्सन ने शांति के लिए पाँच सूत्री कार्यक्रम की घोषणा की।
प्रश्न 3. राष्ट्रपति निक्सन के हिंद-चीन के संबंध में पाँच सूत्री योजना क्या थी ?
उत्तर-राष्ट्रपति निक्सन के हिंद-चीन के संबंध में पाँच सूत्री योजना निम्नलिखित थी-
⇒ हिंद-चीन की सभी सेनाएँ युद्ध बंद कर यथास्थान पर रहे।
⇒ युद्ध विराम की देखरेख अन्तर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षक करेंगे।
⇒ उस दौरान कोई देश अपनी शक्ति बढ़ाने का प्रत्यन नहीं करेगा।
⇒ युद्ध विराम के दौरान सभी तरह की लड़ाइयाँ बंद रहेंगी।
⇒ युद्ध विराम का अंतिम लक्ष्य समूचे हिंद-चीन में संघर्ष का अंत होना चाहिए।
परन्तु शांति प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया। अमेरिकी सेना पुनः बमबारी शुरू कर दी। 24 अक्टूबर, 1972 ई० को वियतकांग, उत्तरी वियतनाम, अमेरिका एवं दक्षिणी वियतनाम में समझौता तय हो गया परंतु दक्षिणी वियतनाम ने आपत्ति जतायी और पुनः वार्ता के लिए आग्रह किया। वियतकांग ने इसे अस्वीकार कर दिया। इस बार इतने बम गिराये गये जिनकी कुल विध्वंसक शक्ति हिरोशिमा में प्रयुक्त परमाणु बम से ज्यादा आंकी गई। हनोई भी इस बमबारी से ध्वस्त हो गया लेकिन वियतनामी डटे रहे। अन्ततः 27 फरवरी, 1973 ई० को पेरिस में वियतनाम युद्ध की समाप्ति के समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इस प्रकार से अमेरिका के साथ चला आ रहा युद्ध समाप्त हो गया एवं अप्रैल, 1975 ई० में उत्तरी एवं दक्षिणी वियतनाम का एकीकरण हो गया।
प्रश्न 4. फ्रांसीसी शोषण के साथ-साथ उसके द्वारा किए गए सकारात्मक कार्यों की समीक्षा करें।
उत्तर-फ्रांसीसियों ने प्रारंभिक शोषण व्यापारिक नगरों एवं बन्दरगाहों से शुरू किया था। उसके बाद उन्होंने भीतरी ग्रामीण इलाकों में किसानों का शोषण आरंभ किया।
सर्वप्रथम फ्रांसीसियों ने शोषण के साथ-साथ कषि की उत्पादकता बढ़ाने के लिए नहरों का एवं जल निकासी का समुचित प्रबंध किया और दलदली भूमि, जंगलों आदि में कृषि-क्षेत्र को बढ़ाया जाने लगा। इन प्रयोगों के कारण 1931 ई० तक वियतनाम विश्व का तीसरा बड़ा चावल निर्यातक देश बन गया। रबर बगानों, फार्मों, खानों में मजदूर से एकतरफा अनुबंध व्यवस्था पर काम लिया जाता था। जमींदारी अपने विकृत रूप में आ चुकी थी। फिर भी उसी दौरान पूरे उत्तर से दक्षिण हिंदी-चीन तक संरचनात्मक विकास तीव्र गति पर रहा एवं एक विशाल रेल नेटवर्क एवं सड़क का जाल-सा बिछ गया। किंतु किसानों एवं मजदूरों का जीवन स्तर गिरता जा रहा था क्योंकि सारी व्यवस्था ही शोषण मूलक थी।
जहाँ तक शिक्षा का प्रश्न था अब परम्परागत शिक्षा के स्थान पर लोगों को फ्रांसीसी भाषा में शिक्षा दी जाने लगी। परंतु इस क्षेत्र में बसनेवाले फ्रांसिसियों को शिक्षा के प्रसार के सकारात्मक प्रभावों का डर था। अतः आपलोगों को शिक्षा से दूर रखने का प्रयास किया गया। हनोई विश्वविद्यालय का बंद किया जाना फ्रांसीसी शोषण की पराकाष्ठा थी।
प्रश्न 5. हिंद-चीन में राष्ट्रवाद के विकास का वर्णन करें।
उत्तर-हिंद-चीन में फ्रांसीसी उपनिवेशवाद को समय-समय पर विद्रोहों का सामना तो आरंभिक दिनों से ही झेलना पड़ा था किंतु 20वीं शताब्दी के शुरू में यह और मुखर होने लगा। फान बोई चाऊ ने “द हिस्ट्री ऑफ द लॉस ऑफ वियतनाम” लिखकर हलचल पैदा कर दी।1905 ई० में जापान द्वारा रूस को हराना हिंद-चीनियों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गया साथ ही रूसो एवं माण्टेस्क्यू जैसे विचारकों के विचार भी इन्हें उद्वेलित कर रहे थे। उसी समय एक दूसरे राष्ट्रवादी नेता फान चू त्रिन्ह हुए जिन्होंने राष्ट्रवादी आंदोलन के राजतंत्रीय स्वरूप को गणतंत्रवादी बनाने का प्रयास किया। जापान में शिक्षा प्राप्त करने गए छात्र उसी तरह के विचारों के समर्थक थे। सनयात सेन के नेतृत्व में चीन में सत्ता परिवर्तन ने उन्हें और बढ़ावा दिया। इन्हीं छात्रों में वियतनाम कुबान फुक होई (वियतनाम मुक्ति एसोसिएशन) की स्थापना की।
हिंद-चीन में आरंभिक राष्ट्रवाद का विकास कोचीन चीन अन्नाम, तोकिन जैसे शहरों तक ही सीमित था किंतु प्रथम विश्व युद्ध के आरंभ होने पर उन्हीं प्रदेशों के हजारों लोगों को सेना में भर्ती किया गया तथा हजारों मजदूरों को बेगार के लिए फ्रांस ले जाया गया। यहाँ के सैनिकों को युद्ध की प्रथम पंक्ति में रखा जाता था। अतः मारे जाने वालों में इनकी संख्या ज्यादा होती थी। इन सब बातों की प्रतिक्रिया हिंद-चीनी लोगों पर हुई थी। 1914 ई० में ही देशभक्तों ने “वियतनामी राष्ट्रवादी दल नामक संगठन बनाया जिसका प्रथम अधिवेशन कॅण्टन में हुआ। जनता की हालत लगातार दयनीय होती जा रही थी। जनता ने इससे क्रुद्ध होकर 1919 ई० में चीनी बहिष्कार आंदोलन चलाया। हो ची मिन्ह 1930 ई० में वियतनाम में विखरे राष्ट्रवादी गुटों को एकजुट कर वियतनाम कांग सान देंग’ अर्थात् वियतनाम कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की।
1930 ई० के दशक की विश्वव्यापी मंदी ने भी राष्ट्रवाद के विकास में योगदान किया । चावल, रबर आदि के दाम गिर गए थे। हिंद-चीन में बेरोजगारी बढ़ती चली जा रही थी। इस स्थिति से परेशान किसान भी साम्यवाद को अपना रहे थे और राष्ट्रवाद आंदोलन जोर पकड़ता जा रहा था। दूसरी तरफ फ्रांसीसी सरकार का दमनचक्र काफी तीव्र एवं क्रूर होता जा रहा था। इस दमनचक्र में हजारों लोग मारे गए। आंदोलन दब-सा गया किंतु यह सोये हुए ज्वालामुखी के समान था जो अंदर ही अंदर खौलता रहा और भूमिगत आंदोलन की शुरूआत हो गयी