Aasan Bhasha Me Janiye Chhath Puja Kya hai ?

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Aasan Bhasha Me Janiye Chhath Puja Kya hai ?

दोस्तों इस पोस्ट में मैं आपको छठ पूजा के बारे में वो सबकुछ बताऊंगा जो आप जानने की ईक्षा रखते हैं।

छठ पूजा

छठ पूजा हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक हैं , इसमें शुद्धता का बहुत ध्यान रखा जाता है या यौं कहे तो इस पर्व में नेम- टेम का विशेष ध्यान रखा जाता हैं, यह त्योहार बहुत ही पवित्र हैं, समान्यतः यह त्योहार बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता हैं, इसके अलावा छठ पूजा विदेशों में भी धूम धाम से मनाया जाता हैं इस ट्रोहर में भगवान सूर्य और छठ माता की आराधना की जाती हैं हिंदुओं के अलावा इस्लाम येवं अन्य धर्म के मानने वाले भी कुछ लोग इस त्योहार को पूरी श्रद्धा से मनाते हैं । यह पूजा वर्ष में दो बार मनाया जाता हैं पहली बार चैती छठ पूजा और दूसरी बार कार्तिक छठ पूजा । चैती छठ पूजा चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता हैं और कार्तिक छठ पूजा कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता हैं।

छठ चार दिनों तक चलने वाला त्योहार हैं। इस त्योहार में बच्चे, बूढ़े, जवान सबों में खुशी देखने को मिलती हैं अगर सबसे जायदा खुशी की बात करें तो वो बच्चों में होता हैं, छट घाट जहां छट पुजा होती हैं वहाँ बच्चे खूब पटाखें फोरते हैं।

पहला दिन -इसकी शुरुआत नहाय-खाय से होती हैं , इस दिन गंगा के पवित्र जल से स्नान कर के खाना बनाया जाता हैं, नहाय-खाय के बाद खाने में नमक का प्रयोग नहीं किया जाता हैं,

दूसरा दिन – दूसरे दिन को खरना के नाम से जाना जाता हैं, खरना के दिन व्रत करने वाले लोगों के द्वारा प्रसाद के रूप में खीर बनाई जाती हैं। प्रसाद खाने के बाद निर्जला व्रत शुरू होता हैं।

तीसरे दिन – तीसरे दिन नदी किनारे छठ माता की पूजा की जाती हैं, पूजा के बाद डूबते हुये सूर्य को गाय के दूध और जल से अर्घ दिया जाता हैं, इसके साथ ही छठ का विशेष प्रसाद ठेकुआ और फल चढ़ाया जाता हैं। बहुत से जगहों पर लोग रात को भी छट घाटों पर ही रहते हैं वहाँ रहने का पूरा इंतेजाम किया जाता हैं  जैसे पंडाल वगैरह का रात में लोग जगे रहे इसलिए जागरण का भी आयोजन किया जाता हैं।

चौथे और आखिरी दिन – इस त्योहार के आखिरी दिन व्रत करने वाले लोगों के द्वारा उगते हुये सूर्य को अर्घ दिया जाता हैं।

सूर्य को अर्घ देने के बाद व्रत करने वाले लोग प्रसाद खा कर अपना व्रत खोलते हैं, इसके बाद सभी लोगों में प्रसाद बाँट कर पूजा सम्पन्न की जाती जाती हैं , छठ का व्रत किसी कठिन तपस्या से कम नहीं हैं छठ व्रत पति और संतान के दीर्घायु के लिए किया जाता हैं।

मान्यता

ऐसी मान्यता हैं की सच्चे मन से छठ व्रत करने पर सारी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।पुरुष भी अपने कार्य की सफलता और मनचाहा फल की प्राप्ति के लिए इस व्रत को पूरी निष्ठा और श्रद्धा से करते हैं

शुरूआत-  छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल से हुई, सूर्य पुत्र कर्ण घंटो पानी में खरे हो कर सूर्य को अर्घ देते थे,

कुछ कथाओं के अनुसार अपने प्रियजनों की लंबी उम्र की कामना के लिए द्रौपदी भी नियमित सूर्य की आराधना करती थी, कुछ लोगों का यह भी मानना है की लंका विजय के बाद भगवान राम और माता सीता ने रामराज्य की स्थापना के लिए कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को सूर्य की पूजा की। पुरानों के अनुसार राजा प्रिएवद ने पुत्र की प्राप्ति के लिए छठ का व्रत किया था।

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