दोस्तों इस पोस्ट के माध्यम से मैं आपको बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिन्दी के पाठ 2 विष के दाँत जिसका लेखक नलिन विलोचन शर्मा है का लेखक परिचय, सारांश के साथ प्रश्न-उत्तर भी करेंगे। जिसे आप एक बार पढ़ लेंगे तो दोबारा पढ़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अगर आपलोग गणित की तैयारी करना चाहते हैं तो हमारे Youtube Channel का Link दिया गया है जिस पर क्लिक करके आप देख सकते हो और अपनी तैयारी को बेहतर कर सकते हो।
विष के दाँत
◊ नलिन विलोचन शर्मा
लेखक परिचय:- नलिन विलोचन शर्मा का जन्म 18 फरवरी 1916 ईo में पटना के बदरघाट में हुआ । वे दर्शन और संस्कृत के प्रख्यात विद्वान महामहोपाध्याय पंo रामावतार शर्मा के ज्येष्ठ पुत्र थे ।उनके माता का नाम रतनवाती शर्मा था । उनकी स्कूली पढ़ाई पटना कॉलेजिएट स्कूल से हुई साथ ही उन्होने पटना विश्वविद्यालय से संस्कृत और हिन्दी में M.A किया । 1959 में वे पटना विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष हुये। 12 सितंबर 1961 ईo को उनकी मृत्यु हो गई।
रचनाएँ:- नलिन जी की रचना इस प्रकार है- ‘दृष्टिकोण ‘, ‘साहित्य का दर्शन ‘, ‘मानदंड’, ‘हिन्दी उपन्यास – विशेषतः प्रेमचंद’, ‘साहित्य तत्त्व और आलोचना’ आलोचनात्मक ग्रंथ; ‘विष के दाँत’ और सत्रह असंगृहीत पूर्व छोटी कहानियाँ कहानी संग्रह; केसरी कुमार तथा नरेश के साथ काव्य संग्रह ‘नकेन – के प्रपद्य’ और ‘नकेन दो’, ‘सदल मिश्र ग्रंथावली’, ‘अयोध्या प्रसाद खत्री स्मारक ग्रंथ’, ‘संत परंपरा और साहित्य’ आदि संपादित ग्रंथ ।
पाठ का सारांश
सेन साहब के बंगले पर नई मॉडल की कार आई है। सेन साहब को चमचमाती अपनी कार पर नाज है। किसकी मजाल कि गाड़ी के पास कोई चला जाय । सेन साहब को पाँच लड़कियाँ सुशील एवं सभ्य दिखती थीं। कहीं भी कभी भी तोड़-फोड़ में उन सबों की हिस्सेदारी नहीं रहती थी परन्तु सेन साहब का बेटा अत्यन्त नटखट और सेन साहब के दुलार से बिगड़ा हुआ था। सेन साहब अपने बेटा को इंजीनियर बनाना चाहते थे जो उनकी महत्वाकांक्षा का दिवास्वप्न जैसा ही था। क्योंकि बेटा यदि कुछ तोड़ भी देता था उनको लगता था मानो मेरा बेटा कुछ अनुसंधान कर रहा है। काशू नाम का वह उद्दण्ड बच्चा कभी गाड़ी की बत्ती फोड़ देता तो कभी चक्के की हवा निकाल देता लेकिन सेन साहब के लिए यह आनन्दकी बात होती ।
दूसरी तरफ गिरधर उनकी फैक्टरी का किरानी है जो अपने परिवार के साथ फैक्ट्री के अहाते में एक कोने में रह रहा था। गिरधर का पाँच वर्षीय बेटा मदन ने जब कार को देखा तो उसकी लालसा हुई होगी छुने की जो. बाल सुलभ है। छुने जा रही रहा था कि ड्राईवर ने मना किया, उसे डाँटकर भगाना चाहा, उसी बीच मदन की माँ भी आ जाती है। ड्राईवर और मदन की माँ के बोच बहस सुनकर सेन साहब भी बाहर आ गये। ड्राईवर ने कहा-यह लड़का बार-बार गाड़ी की ओर बढ़ने का प्रयास कर रहा था। मैंने हटा दिया तो यह औरत आंकर मुझसे लड़ रही है।
दूसरों के बच्चे के द्वारा गाड़ी छुने का प्रयास करना भी सेन साहब को अपराध समझ में • आता है। दण्डस्वरूप गिरधर को बुलाकर उसको फैक्टरी में काम छोड़ने और आवास खाली करने की आज्ञा मिलती है ।
उसी दिन एक घटना घट गई-काशू अपने बँगले से निकल सड़क पर लट्टू नचती लड़कों से लट्टू नचाने के लिए माँगता है। लड़कों का सरदार मदन है। काशू और मदन के बीच द्वन्द्व छिड़ता है। काशू मार खा जाता है जिससे उसके दो दाँत टूट जाते हैं। मदन रात आठ-नौ बजे पीछे के दरवाजे से घर में घुसा। पहले रसोई में जाकर भरपेट खाना खाया फिर माता-पिता के परस्पर होते बात को सुनने लगा जिससे पता चला कि पिताजी को फैक्टरी से छुट्टी मिल गई, मकान भी कल ही खाली करना था। मदन के बारे में कोई बात नहीं हो रही थी। मदन समझ गया कि पिताजी हमारे ऊपर गुस्सा में नहीं है। वह दबे पाँव सोने चला कि पैर से बर्तन टकरा गया। आहट पाकर गिरधर कमरे से बाहर आकर मदन को देख उठाकर मदन को शबासी देते हुए कहते हैं, “शाबाश बेटा। एक तेरा बाप है और तूने तो खोखा के दो-दो दाँत तोड़ डाले । हा-हा, हा-हा !
बोध और अभ्यास
पाठ के साथ
1. कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर-कहानीकार नलिन जी रचित “विष के दाँत” शीर्षक कहानी का शीर्षक सार्थक है। साँप के दाँतों में दो विष के दाँत होते हैं। यदि वह दाँत टूट जाता है तो वह साँप विषहीन हो जाता है। सेन साहब का खोखा साँप की तरह की विषैला था। वह अपने सामने किसी को कुछ नहीं समझता था। किसी पर भी रोब जमा देता। किसी की भी पिटाई कर देता था। साँप की भाँति फुफकारने वाला सेन साहब का वह पुत्र काशू मदन से मार ऐसा खाया कि पुनः वह गली में आकर किसी पर फुफकार भी नहीं सकता। मानो उसके विष के दाँत ही मदन ने तोड़ डालें हों।
2. सेन साहब के परिवार में बच्चों के पालन-पोषण में किए जा रहे लिंग आधारित भेद-भाव का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए ।
उत्तर-सेन साहब के परिवार में पाँच बेटी और एक बेटा है। सेन साहब पत्नी सहित बेटा को अधिक प्यार करते हैं। अगर कोई गलती भी बेटा कर देता तो उनको आनन्द आता था । क्यों नहीं आनन्द आता बेटा को भविष्य में इंजीनियर बनाने का दिवास्वप्न जो देख रहे थे। परन्तु बेटी तो उनके हाथ की मानो कठपुतली हो। हरेक समय माता-पिता की आज्ञा के पालन में तत्पर रहा करती थी। सभ्य और सुशील बेटी के प्रति सेन दम्पति का उतना प्यार नहीं दिखता जैसा कि बेटा के प्रति । सभ्य और सुशील की प्रतिमूर्ति वह बेटियाँ भी कुछ बन सकती हैं वह दिल में उम्मीद भी नहीं रखते थे। खान-पान में भी काशू जो चाहता तुरन्त हाजिर हो जाता। परन्तु बेटियों के लिए नहीं। इससे स्पष्ट है कि सेन परिवार में बच्चों के पालन-पोषण में लिंग के आधार पर भेदभाव किये जाते थे ।
3. खोखा किन मामलों में अपवाद था ?
उत्तर-खोखा जीवन के नियम और घर के नियमों के मामले में अपवाद था ।
4. सेन दंपती खोखा में कैसी संभावनाएँ देखते थे और उन संभावनाओं के लिए उन्होंने उसकी कैसी शिक्षा तय की थी ?
उत्तर-सेन दंपति अपने खोखा के दुर्ललित व्यवहार से एवं उसके तोड़-फोड़ की हरकतों से इंजीनियर बनने की सम्भावनाएँ देखते थे। उन संभावनाओं के लिए उन्होंने उसकी शिक्षा के लिए बढ़ई मिस्त्री को बुलवाकर ठोक-ठाक सिखाने के लिए तय किया था ।
5. सप्रसंग व्याख्या कीजिए –
(क) लड़कियाँ क्या हैं, कठपुतलियाँ हैं और उनके माता-पिता को इस बात का गर्व है।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्य पुस्तक “गोधूली” भाग-2 के गद्य खंड के “विष के दाँत” शीर्षक कहानी से उद्धृत है जिसके कहानीकार “नलिन विलोचन शर्मा” हैं।
कहानी प्रसंग में कहानीकार ने सेन दंपति की पाँचों लड़कियाँ अत्यन्त सुशील, सभ्य और अनुशासित हैं। इस बात की सम्पुष्टि में उक्त पंक्ति लिखते हुए कहा है कि “लड़कियाँ क्या हैं, कठपुतलियाँ हैं और उनके माता-पिता को इस बात का गर्व है।”
अर्थात् पाँचों लड़कियाँ माता-पिता के कथनानुसार और इशारे पर चलने वाली हैं। पाँचों बच्ची पर सेन दंपति को गर्व है।
(ख) खोखा के दुर्ललित स्वभाव के अनुसार ही सेनों ने सिद्धांतों को भी बदल लिया था ।
उत्तर- प्रस्तुत पक्ति हमारे पाठ्य पुस्तक ‘गोधूली’ विलोचना माड के “विष के दाँत शीर्षक कहानी से उद्धृत है जिसके कहानीकार “श्री नलिन विलोचन शर्मा” हैं। कहानी प्रसंग में कहानीकार ने सेन दंपति के लाड़-प्यार से बिगड़ा हुआ एकमात्र पुत्र के पक्ष में कहा है जिसे सेन दंपति इंजीनियर बनाना चाहते थे, जिसका कारण था कि खोखा तोड़-फोड़ में अधिक आनन्द पाता था इसलिए “खोखा के दुर्ललित स्वभाव के अनुसार ही सेनों ने सिद्धांतों की भी बदल लिया था।
“अर्थात् खोखा के बिगड़े चाल के कारण ही सेन दंपत्ति को ऐसा लगता था कि मेरा बेटा इंजीनियर बनेगा ।
(ग) ऐसे ही लड़के आगे चलकर गुंडे, चोर और डाकू बनते हैं ।
उत्तर- प्रस्तुत पक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक “गोधूली” भाग-2 के गद्य खण्ड के “विष के दाँत” शीर्षक कहानी से उद्धृत किया गया है जिसके कहानीकार “श्री नलिन विलोचन शर्मा हैं।”
कहानी प्रसंग में जब मदन सेन साहब की गाड़ी छुना चाह रहा था तब ड्राइवर और मदन की माँ में कुछ बकझक सुनकर सेन साहब घर से निकलकर मदन की माँ को तो मदन को ले जाने के लिए कह ही दिया। इससे उनका गुस्सा शांत नहीं हुआ तो मदन के पिता गिरधर लाल को बुलवाकर कहा-देखो गिरधर मदन आजकल बहुत शोख हो गया। गाड़ी भी गंदा किया, साथ-साथ ड्राईवर को भी मारने दौड़ा। “ऐसे ही लड़के आगे चलकर गुण्डे, चोर और डाकू बनते हैं।”
अर्थात् तुम्हारा बेटा दुलार में दूषित हो गया है। आगे चलकर चोर, डकैत, गुण्डा बन जायेगा। यहाँ पर सेन साहब को अपना गिरवान नहीं दिखता केवल दूसरों को झाँकते हैं। यहाँ पर यह भी कहा जा सकता है कि अपने चेहरा पर लगा कालिख किसी को नजर नहीं आता । लेकिन दूसरे के चेहरे पर लगा कालिख जल्दी नजर आ जाता है।
(घ) हंस कौओं की जमात में शामिल होने के लिए ललक गया ।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्य पुस्तक “गोधूली” भाग-2 के गद्य खंड के “विष के दाँत” शीर्षक पाठ से ली गयी है। यह कहानी “श्री नलिन विलोचन शर्मा” जी की रचना है।
कहानी के संदर्भ में मदन गली के बच्चों के साथ लट्टु नचा रहा है। सेन साहब का खोखा भी वहाँ आ गया। लट्टु को नाचते देख उसकी भी तबीयत लट्टु नचाने के लिए मचल गई । यहाँ पर कहानीकार ने काशू को हंस और मदन सहित साथियों को कौओं का झुंड की उपमा देकर व्यंग्यात्मक दृष्टि से कहा-हंस कौओं की जमात में शामिल होने के लिए ललक गया ।
6. सेन साहब के और उनके मित्रों के बीच क्या बातचीत हुई और पत्रकार मित्र ने उन्हें किस तरह उत्तर दिया ?
उत्तर-सेन साहब के ड्राइंग रूप में सेन साहब के कुछ मित्रगण के साथ-साथ एक पत्रकार मित्र भी उपस्थित थे। सभी परस्पर बातचीत कर रहे थे कि किसका बेटा क्या कर रहा है, आगे क्या पढ़ेगा । सेन साहब तो बिना पूछे ही अपने खोखा को इंजीनियर बनाने की बात कह डाली। जब पत्रकार मित्र से पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया- “मैं चाहता हूँ मेरा बेटा जेंटलमैन जरूय बने और जो कुछ बने, उसका काम है, उसे पूरी आजादी रहेगी ।”
7. मदन और ड्राइवर के बीच के विवाद के द्वारा कहानीकार क्या बताना चाहता है ?
उत्तर-मदन और ड्राइवर के बीच का विवाद के माध्यम से कहानीकार यह बताना चाहता है कि-जनसाधारण भी वैसा ही बन जाता जैसा कि उसकी संगति होती है। ड्राइवर सेन साहब का नमक खाता है इसलिए सेन साहब के बेटे की बदमाशी की ओर नजर अंदाज कर देता है
लेकिन एक दूसरा बच्चा को यदि गाड़ी छुने की ललक हो तो उसको धकेल दिया जाता है, उलटे उस पर गलत आरोप लगा देता है।
8. काशू और मदन के बीच झगड़े का कारण क्या था ? इस प्रसंग के द्वारा लेखक क्या दिखाना चाहता है ?
उत्तर-काशू और मदन के बीच झगड़े के कारण मात्र बाल हट्ठ था। यदि मदन को काशू की गाड़ी को स्पर्श करने का भी अधिकार नहीं तो काशू को मदन का लद्ध भी नचाने का अधिकार नहीं। लेकिन काशू रौव दिखाकर लट्टु नचाना चाहता है जो मदन के विचार से गलत था। फिर मदन की प्रतिशोध की भावना ने झगड़े का रूप ले लिया। इस प्रसंग के द्वारा कहानीकार यह दर्शाना चाहते हैं कि बच्चों में भी प्रतिशोध की भावना जगती है। बच्चा में यह ज्ञान नहीं होता कि कोई बच्चा बड़े बाप का बेटा है, में गरीब बाप का बेटा हूँ। जो बच्चों का स्वाभाविक ज्ञान है।
9. ‘महल और झोपड़ी वालों की लड़ाई में अक्सर महल वाले ही जीतते हैं, पर उसी हालत में जब दूसरे झोपड़ी वाले उनकी मदद अपने ही खिलाफ करते हैं।’ लेखक के इस कथन को कहानी से एक उदाहरण देकर पुष्ट कीजिए ।
उत्तर-महल और झोपड़ी वालों में लड़ाई अर्थात् काशू और मदन की लड़ाई में मदन के अन्य मित्रों ने काशू की मदद नहीं की। परिणाम काशू (महल वाला) हारता है। यदि मदन के मित्र बालक काशू को मदद करता तो काशू ही जीतता । प्रायः यही देखा जाता है कि झोपड़ी में रहने वाले लोग अपने ही खिलाफ आवाज लगाते हैं। परिणाम झोपड़ी वाला पराजित हो जाता है।
10. रोज-रोज अपने बेटे मदन की पिटाई करने वाला गिरधर मदन द्वारा काशू की पिटाई करने पर उसे दंडित करने की बजाय अपनी छाती से क्यों लगा लेता है ?
उत्तर-रोज-रोज बेटे मदन की पिटाई करने वाला गिरधर मदन द्वारा काशू की पिटाई करने -पर दडित नहीं किया बल्कि उसको अपने छाती से लगा लिया। क्योंकि सेन साहब ने गिरधर को बेवजह नौकरी से निकाला, घर खाली करने का आदेश दिया जो गिरधर के साथ अन्याय था। गलती काशू ने किया, दण्ड काशू को मिलना चाहिए। सेन साहब ने गिरधर के साथ जो अन्याय किया, उसका दंड सेन साहब को मिलना चाहिए था। गिरधर सेन साहब को दंडित कर सकता था लेकिन वह ऐसा नहीं कर सका। लेकिन उसका बेटा मदन काशू को दंडित कर उचित कार्य किया। इसलिए वह अपने बेटे मदन को छाती से लगाकर उचित कार्य के लिए सराहना करता है और खुशी जाहिर करता है।
11. सेन साहब, मदन, काशू और गिरधर का चरित्र-चित्रण करें ।
उत्तर-सेन साहब:- सेन साहब एक विजनेसमेन हैं। आर्थिक दृष्टिकोण से सम्पन्न हैं। महत्वाकांक्षी हैं। सम्भावना को संयोगने वाले हैं। इसलिए अपने दुर्दमनीय पुत्र में इंजीनियर होने की सम्भावना करते हैं। उनकी पुत्रियाँ सभ्य, सुशील और कायदे से काम करने वाली हैं परन्तु उसकी शिक्षा-दीक्षा की चर्चा कभी नहीं करते। इससे स्पष्ट होता है कि सेन साहब पुत्र-पुत्री में भेद मानते हैं जो उचित नहीं है। सेन साहब को धन का अहंकार है इसीलिए तो निर्दोष गिरधर को नौकरी से निकाल देते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि सेन साहब अहम् भाव के कारण अपनो सूझ-बूझ भी खो बैठते हैं।
मदन:- मदन एक गरीब बाप का बेटा है लेकिन सामान्य बालक की भाँति उसमें भी मनस्विता है। की ओर बार भावर मारने के लिए झपटता है। हैं। इसीलिए तो हो उसमें भी ईष्यों, द्वेष और बदले की भावना जगती है। इसलिए तो उसने सेन बालक की तरह को भी पीट देता है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि मदन स्वाभिमानी भी है। एब के सोचा सेन साहब का एकलौता बेटा है । सेन साहब के दुलार में वह बिगड़ता जाता है। पिता की तरह ही उसमें भी अहम् का भाव पनप जाता है। इसलिए तो वह मदन से लद्द दैवाने के लिए रौव से माँगता है। वह नटखट भी है जिसके कारण उसे तोड़-फोड़ में अधिक मन लगता है। उसमें स्वाभिमान, भी है इसलिए तो वह मदन के साथ लट्टु नहीं देने पर उलझ जाता है।
गिरधर:- गिरधर एक मध्यवर्गीय आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति है। वह ईमानदार, वफादार कर्मचारी है। मालिक के गलत निर्णय को भी आसानी से स्वीकार लेता है कि गिरधर वर्तमान को भी आधार मानता है क्योंकि सामान्य पिता की तरह पुत्र मदन को दण्ड भी देता है। लेकिन नौकरी छूटने के बाद उसी पुत्र को गले भी लगता है। वह एक सफल गृहस्थ धर्म का पालन करता है क्योंकि विषम परिस्थिति में भी वह घबराता हुआ नहीं दिखता । दाम्पत्य जीवन में भी गिरधर समरसता ही कायम रखता है।
12. आपकी दृष्टि में कहानी का नायक कौन है ? तर्कपूर्ण उत्तर दें ।
उत्तर-हमारी दृष्टि से कहानी का नायक काशू है। क्योंकि सेन दम्पति काशू के प्रति सम्भावनाएँ को संयोजे हैं। काशू के दुर्लिलत भाव के कारण ही सेन साहब की गाड़ी की बत्ती टूटती है, सेन मित्रों के गाड़ी की हवा निकाली जाती है। काशू के कारण ही निर्दोष गिरधर की नौकरी समाप्त हुई । काशू के दुर्दमनीय स्वभाव के कारण ही सेन साहब को मित्रों के बीच मन मसोस कर रह जाता है तथा काशू के लाड़-प्यार के सामने सेन साहब की पुत्रियाँ कुछ नहीं हैं।
काशू के ही दाँत भी टूटते हैं जिसे “विष के दाँत” की संज्ञा दी गई है।
13. आरंभ से ही कहानीकार का स्वर व्यंग्यपूर्ण है। ऐसे कुछ प्रमाण उपस्थित करें ।
उत्तर-आरंभ से कहानीकार का स्वर व्यंग्यपूर्ण हैं। इसके प्रमाण में कहानीकार की उक्ति गाड़ी के पक्ष में “जैसे कोयल घोंसले से कब उड़ जाएँ।” सेन साहब की पुत्रियों के प्रति व्यंग्यपूर्ण उक्ति में कहानीकार ने कहा है-“वे ऐसी मुस्कराहट अपने होठों पर ला सकती हैं कि सोसाइटी की तारिकाएँ भी उनसे कुछ सीखना चाहें तो सीख लें।”
कहानी में वहाँ भी कहानीकार ने व्यंग्य किया है जहाँ काशू मदन की जमात में लट्टु नचाने जा पहुँचता है उस समय कहानीकार की उक्ति-“हंस कौओं की जमात में शामिल होने के लिए
ललक गया ।” इत्यादि।
14. ‘विष के दाँत’ कहानी का सारांश लिखें ।
उत्तर-कहानी का सारांश के लिए पाठ का सारांश ही लिख दें।
पाठ के आस-पास
1. एक साहित्यकार के रूप में नलिन विलोचन शर्मा के महत्त्व के बारे में अपने शिक्षक से जानकारी लें।
उत्तर- नलिन विलोचन शर्मा एक महान साहित्यकार हैं। वे हिन्दी साहित्य में आलोचक और प्रवर्तक के रूप में स्थान प्राप्त किया है। साहित्य क्षेत्र में “दृष्टिकोण”, “साहित्य का इतिहास दर्शन” “मान दण्ड”। आलोचनात्मक ग्रन्थों में साहित्य तत्व और आलोचना। कहानी में “विष के दाँत” आदि सत्रह कहानियाँ का “कहानी संग्रह” “हिन्दी उपन्यास-विशेषतः प्रेमचन्द” “सदल मिश्र पंधावली”, “अयोध्या प्रसाद खत्री स्मारक ग्रंथ” “संत परंपरा और साहित्य” । “नकेन के प्रपद्य” और “नकेन दो” इत्यादि अनेक ग्रन्थों से हिन्दी साहित्य के भंडार को भरने का काम किया ।
2. अपने शिक्षक की मदद से लेखक के पिता की रचनाओं की सूची तैयार करें और उनके बारे में जानकारी इकट्ठी करें ।
उत्तर-छात्र स्वयं करें ।
भाषा की बात
1. कहानी से मुहावरे चुनकर उनके स्वतंत्र वाक्य प्रयोग करें ।
उत्तर- “विष के दाँत” कहानी में प्रयुक्त मुहावरे कुछ निम्नलिखित हैं तथा उसका वाक्य में प्रयोग भी ।
(क) आँखों का तारा वह अपने पिता का आँखों का तारा है।
(ख) खाल उधेड़ना-श्याम ने मदन का खाल उधेड़ लिया ।
(ग) कौए की तरह चिल्लाना वर्ग में बच्चे भी कभी-कभी कौए की तरह चिल्लाने लगते हैं।
(घ) हंस का कौवों की जमात में शामिल होना-काशू मदन के साथ लट्टु नचाना चाहता है मानो हंस कौओं की जमात में शामिल होना चाहता है।
(ङ) आव-ताव न देखना-वह आव न ताख देखा नदी में कूद गया ।
(च) तितर-बितर होना पुलिस आते ही लोग तितर-बितर गये ।
(छ) मारा-मारा फिरना-नौकरी के लिए युवक लोग मारे-मारे फिरते हैं।
(ज) हक्का-बक्का होना-रमेश को देिखकर सोहन हक्का-बक्का हो गया ।
2. कहानी से विदेशज शब्द चुनें और उनका स्रोत निर्देश करें ।
उत्तर- कहानी में प्रयुक्त विदेशज शब्द और उनके स्रोत निम्नलिखित हैं-
शब्द स्रोत
नाज उर्दू
तहजीव उर्दू
शोफर उर्दू
शामत उर्दू
ताकीद उर्दू
सोसाइटी अंग्रेजी
ट्रेड अंग्रेजी
फरमाना उर्दू
फिजुल उर्दू
वाकिफ उर्दू
3. कहानी से पाँच मिश्र वाक्य चुनें ।
उत्तर- (क) सेन साहब की नई मोटरकार बंगले के सामने बरसाती में खड़ी है-काली चमकती हुई, स्ट्रीमल इंड जैसे कोयल पोंसले में कि कब उड़ जाए।
(ख) सेन साहब को इस कार पर नाज है । बिल्कुल नई मॉडल, साढ़े सात हजार में आई है।
(ग) लड़कियाँ तो पाँचों बड़ी सुशील हैं, पाँच-पाँच तहरों और सो भी लड़कियाँ, तहजीव और तमीज की तो जीती-जागती मूरत ही हैं।
(घ) वे दौड़ती हैं और खेलती भी हैं, लेकिन सिर्फ शाम के वक्त और चूंकि उन्हें सिखाया’ गया है कि ये बातें उनकी सेहत के लिए जरूरी हैं।
(ङ) वे ऐसे मुस्कुराहट अपने होठों पर ला सकती हैं कि सोसाइटी की तारिकाएँ भी उनसे कुछ सीखना चाहें, तो सीख लें पर उन्हें खिल-खिलाकर किलकारी मारते हुए किसी ने सुना नहीं।
4. वाक्य-भेद स्पष्ट कीजिए
(क) इसके पहले कि पत्रकार महोदय कुछ जवाब देते, सेन साहब ने शुरू किया- मैं तो खोखा को इंजीनियर बनाने जा रहा हूँ ।
उत्तर- मिश्र वाक्य
(ख) पत्रकार महोदय चुप मुस्कुराते रहे ।
उत्तर- सरल वाक्य
(गं) ठीक इसी वक्त मोटर के पीछे खट-खट की आवाज सुनकर सेन साहब लपके, शोफर भी दौड़ा।
उत्तर- संयुक्त वाक्य
(घ) ड्राइवर, जरा दूसरे चक्कों को भी देख लो और पंप ले आकर हवा भर दो।
उत्तर- संयुक्त वाक्य
शब्द निधि
बरसाती -पोर्टिको । नाज – गर्व, गुमान। तहजीब – सभ्यता। शोफर – ड्राइवर । शामत – दुर्भाग्य । सख्त – कड़ा, कठोर । ताकीद – कोई बात जोर देकर कहना, चेतावनी । खोखा-खोखी – वच्चा-बच्ची (बाँग्ला)। फटकना – निकट आना। तमीज – विवेक, बुद्धि, शिष्टतां । तालीम – शिक्षा। सोसाइटी – शिष्ट समाज, भद्रलोक । रश्क – इर्ष्या । ताल्लुक – संबंध । हकीकत – सच्चाई, वास्तविकता । आविर्भाव – उत्पत्ति, प्रकट होना। दुर्ललित– लाड़-प्यार में बिगड़ा हुआ। ट्रेंड – प्रशिक्षित। दूरंदेशी – दूरदर्शिता, समझदारी । फरमाना– आग्रहपूर्वक कहना । फिजूल – फालतू, व्यर्थ । वाकिफ – परिचित । वाकया – घटना। हैसियत-स्तर, प्रतिष्ठा, सामर्थ्य, औकात । अखबारनवीस – पत्रकार । प्रच्छन्न – छिपा हुआ, गुप्त, अप्रकट । अदब – शिष्टता, सभ्यता । हिकमत – कौशल, योग्यता । रुखसत – विदाई । बेलौस – निःस्वार्थ । बेयरा – खाना खिलाने वाला सेवक । चीत्कार – क्रंदन, आर्त होकर चीखना । शयनागार – शयनकक्ष, सोने का कमरा। खलल – विघ्न, बाधा, व्यवधान। कातर – आर्त । खैरियत – कुशलक्षेम । बेढब – बेतरीका, अनगढ़। उज्र – आपत्ति । मजाल – ताकत, हिम्मत, साहस । अक्ल – बुद्धि। दुर्दमनीय – मुश्किल से जिसका दमन किया जा सके । निष्ठुरता – क्रूर निर्ममता ।