Class 10 History chapter-1. यूरोप में राष्ट्रवाद

Facebook
Twitter
WhatsApp
X
europe me rastravad

Class 10 History chapter-1. Europe Me Rastravad

दोस्तों इस पोस्ट में आपको बिहार बोर्ड कक्षा 10 इतिहास की दुनियाँ के Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद के Notes के साथ आपको Book के सभी प्रश्नों के उत्तर भी मिल जाएंगे जो आपके Study में काफी मदद करेगा ।

 

इतिहास की दुनिया

1. यूरोप में राष्ट्रवाद

 


Class 10 History chapter-1. Europe Me Rastravad (पाठ की मुख्य बातें)

  • गणतंत्र या प्रजातंत्र फ्रांस की क्रांति की देन थी।
  • जुलाई 1830 ई० की क्रांति के परिणामस्वरूप फ्रांस में बूबों वंश के शासन का अंत हो गया।
  • 1871 ई० तक इटली का एकीकरण मेजिनी, काबूर, गैरीवाल्डी जैसे राष्ट्रवादी नेताओं एवं विक्टर इमैनुएल जैसे शासक के योगदानों के कारण पूर्ण हुआ ।
  • हीगल, काण्ट, हम्बोल्ट, जैकब, ग्रीन आदि ने जर्मन राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया ।
  • बिस्मार्क ने आस्ट्रिया के साथ मिलकर 1864 ई० में श्लेशविग और हॉलेस्टीन राज्यों के मुद्दे को लेकर डेनमार्क पर आक्रमण किया।
  • राष्ट्रवाद की भावना का बीजारोपण यूरोप में पुनर्जागरण के काल में हो चुका था।
  • प्रशा का चांसलर बिस्मार्क के नेतृत्व में जर्मनी का एकीकरण हुआ ।
  • जीत के बाद श्लेशविग प्रशा के अधीन हो गया और हॉलेस्टीन आस्ट्रिया को प्राप्त हुआ।
  • ईसाई जगत ग्रीक आर्थोडॉक्स तथा रोमन कैथोलिक चर्च में विभक्त था।
  • रूस तथा यूनान के लोग ग्रीक आर्थोडॉक्स चर्च के मानने वाले थे।

 


पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न———————————————————————————————————-

I.  नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर रूप में चार विकल्प दिए गए हैं। जो आपको सर्वाधिक

उपयुक्त लगे उनमें सही का चिह्न लगावें :

1. इटली तथा जर्मनी वर्तमान में किस महादेश के अन्तर्गत आते हैं ?

(क) उत्तरी अमेरिका

(ख) दक्षिणी अमेरिका

(ग) यूरोप

(घ) पश्चिमी एशिया

(ग) यूरोप

2. फ्रांस में किस शासन वंश की पुनर्स्थापना वियना कांग्रेस द्वारा की गई थी ?

(क) हैपसबर्ग

(ख) आर्लिया वंश

(ग) बूर्बो वंश

(घ) जार शाही

(घ) जार शाही

(ग) बूर्बो वंश

3. मेजनी का संबंध किस संगठन से था ?

(क) लाल सेना

(ख) कार्बोनरी

(ग) फिलिक हेटारिया

(घ) डायट

(ख) कार्बोनरी

4. इटली एवं जर्मनी के एकीकरण के विरुद्ध निम्न में कौन था ?

(क) इंगलैण्ड

(ख) रूस

(ग) आस्ट्रिया

(घ) प्रशा

(ग) आस्ट्रिया

5. ‘काउंट काबूर’ को विक्टर इमैनुएल ने किस पद पर नियुक्त किया ?

(क) सेनापति

(ख) फ्रांस में राजदूत

(ग) प्रधानमंत्री

(घ) गृहमंत्री

(ग) प्रधानमंत्री

6. गैरीवाल्डी पेशे से क्या था ?

(क) सिपाही

(ख) किसान

(ग) जमींदार

(घ) नाविक

(ख) किसान

7. जर्मन राइन राज्य का निर्माण किसने किया था ?

(क) लुई 18 वाँ

(ख) नेपोलियन बोनापार्ट

(ग) नेपोलियन III

(घ) बिस्मार्क

(ख) नेपोलियन बोनापार्ट

8. “जालवेरिन” एक संस्था थी :

(क) क्रांतिकारियों की

(ख) व्यापारियों की

(ग) विद्वानों की

(घ) पादरी एवं सामंतों की

(ख) व्यापारियों की

9. “रक्त एवं लौह” की नीति का अवलम्बन किसने किया ?

(क) मेजनी

(ख) हिटलर

(ग) बिस्मार्क

(घ) विलियम I

(ग) बिस्मार्क

10. फ्रैंकफर्ट की संधि कब हुई ?

(क) 1864 ई०

(ख) 1866 ई०

(ग) 1870 ई०

(घ) 1871 ई०

(घ) 1871 ई०

11. यूरोपवासियों के लिए किस देश का साहित्य एवं ज्ञान-विज्ञान प्रेरणास्त्रोत रहा ?

(क) जर्मनी

(ख) यूनान

(ग) तुर्की

(घ) इंगलैण्ड

(ख) यूनान

12. 1829 ई० में एड्रियानोपुल की संधि किस देश के साथ हुई ?

(क) तुर्की

(ख) यूनान

(ग) हंगरी

(घ) पोलैण्ड

(ख) यूनान


II. निम्नलिखित में रिक्त स्थानों को भरें :

1. सेडान के युद्ध में ही एक महाशक्ति के पतन पर दूसरी यूरोपीय महाशक्ति जर्मनी का जन्म हुआ था।

2. सेडोवा का युद्ध फ्रांस और प्रसा बीच हुआ था।

3. 1848 ई० की फ्रांसीसी क्रांति ने पुरातन युग का भी अंत कर दिया।

4. वेटीकन सिटि के राजमहल जहाँ पोप रहते थे जो इटली के प्रभाव से बचा रहा।

5. यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित करने के बाद बबेरिया के शासक ओटो वहाँ का राजा घोषित किया गया । को

6. हंगरी की बुडापेस्ट राजधानी है।


III. निम्नलिखित समूहों का मिलान करें :

(i) समूह (अ)                                       समूह (ब)

1. मेजनी                                              (क) दार्शनिक

2. हीगल                                              (ख) इटली

3. बिस्मार्क                                          (ग) राजनीतिज्ञ

4. विक्टर इमैनुएल                               (घ) जर्मन चांसलर

उत्तर:- 1. (ख)            2. (क)           3. (घ)               4. (ग)

(ii) समूह (अ)                                         समूह (ब)

1. वियना सम्मेलन                                (क) 1871 ई०

2. मेटरनिख का पतन                          (ख) 1870 ई०

3. इटली का एकीकरण                        (ग) 1848 ई०

4. सेडना युद्ध                                       (घ) 1814-15 ई०

उत्तर- 1. (घ)           2. (ग)             3. (क)           4. (ख)

(iii) समूह (अ)                                         समूह (ब)

1. कोसुथ                                               (क) 1863 ईo

2. एड्रियानोपल की संधि                        (ख) हंगरियन रास्ट्रवादी नेता

3. यूनान की स्वतंत्रता                            (ग) 1829 ईo

4. पौलैण्ड में आंदोलन                          (घ) 1832 ईo

उत्तर- 1. (ख)           2. (ग)             3. (घ)           4. (क)


अतिलघु उत्तरीय प्रश्न.

प्रश्न 1. राष्ट्रवाद क्या है ?

उत्तर:- राष्ट्रवाद आधुनिक विश्व की राजनीतिक जागृति का प्रतिफल है। यह एक ऐसी भावना है जो किसी भौगोलिक, सांस्कृतिक या सामाजिक परिवेश में रहने वाले लोगों में एकता की वाहक बनती है।

प्रश्न 2. मेजनी कौन था ?

उत्तर:- मेजनी साहित्यकार, गणतांत्रिक विचारों का समर्थक और योग्य सेनापति था। उसमें आदर्श गुण अधिक और व्यावहारिक गुण कम थे। इटली के एकीकरण में मेजनी का महत्त्वपूर्ण योगदान था ।

प्रश्न 3. जर्मनी के एकीकरण की बाधाएँ क्या थीं ?

उत्तर:- जर्मनी पूरी तरह से विखंडित राज्य था जिसमें लगभग 300 छोटे-बड़े राज्य थे। उनमें धार्मिक, राजनीतिक तथा सामाजिक विषमताएँ भी मौजूद थीं। वहाँ प्रशा शक्तिशाली राज्य था एवं अपना प्रभाव बनाए हुए था। उनमें जर्मन राष्ट्रवाद की भावना का अभाव था, जिसके कारण एकीकरण का मुद्दा उनके समक्ष नहीं था।

प्रश्न 4. मेटरनिख युग क्या है ?

उत्तर:-नेपोलियन के पतन के बाद यूरोप की विजयी शक्तियाँ आस्ट्रिया की राजधानी वियना में 1815 ई० में एकत्रित हुई। इनका उद्देश्य यूरोप में पुनः उसी व्यवस्था को कायम करना था जिसे नेपोलियन के युद्धों और विजयों ने अस्त-व्यस्त कर दिया था। 1815 ई० में एकत्रित वियना कांग्रेस का नेतृत्व आस्ट्रिया के चांसलर मेटरनिख ने किया था जो घोर प्रतिक्रियावादी था । 1815 से 1848 तक के काल को यूरोप में मेटरनिख युग के नाम से जाना जाता है।


 

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. 1848 ई० के फ्रांसीसी क्रांति के क्या कारण थे ?

उत्तर-लुई फिलिप एक उदारवादी शासक था किंतु वह बहुत ही महत्त्वाकांक्षी शासक था । उसने अपने विरोधियों को खुश करने के लिए स्वर्णिम मध्यम वर्गीय नीति का अवलम्बन करते हुए 1840 ई० में गीजो को प्रधानमंत्री नियुक्त किया, जो कट्टर प्रतिक्रियावादी था। वह किसी भी तरह के वैधानिक, सामाजिक एवं आर्थिक सुधारों के विरुद्ध था। लुई फिलिप ने पूँजीपति वर्ग को साथ रखना पसंद किया जिसे शासन में कोई अभिरुचि नहीं थी और जो अल्पमत में भी था। उसके शासनकाल में भुखमरी एवं बेरोजगारी व्याप्त होने लगी जिसके कारण 1848 की क्रांति हुई ।

प्रश्न 2. इटली, जर्मनी के एकीकरण में आस्ट्रिया की भूमिका क्या थी ?

उत्तर-आस्ट्रिया, इटली और जर्मनी के एकीकरण का सबसे बड़ा विरोधी था। आस्ट्रिया के हस्तक्षेप से इटली में जनवादी आंदोलन को कुचल दिया गया। आस्ट्रिया का चांसलर मेटरनिख पुरातन व्यवस्था का समर्थक था। आस्ट्रिया को पराजित किए बिना इटली और जर्मनी का एकीकरण संभव नहीं था। 1871 ई० तक इटली का एकीकरण, मेजनी, काबूर और गैरीबाल्डी जैसे राष्ट्रवादी एवं विक्टर इमैनुएल जैसे शासकों के योगदान के कारण पूर्ण हुआ ।इस तरह आस्ट्रिया का जर्मन क्षेत्रों से प्रभाव समाप्त हो गया और प्रशा के नेतृत्व में जर्मनी का एकीकरण सम्पन्न हुआ, जिसमें बिस्मार्क की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी ।

प्रश्न 3. यूरोप में राष्ट्रवाद को फैलाने में नेपोलियन बोनापार्ट किस तरह सहायक हुआ ?

उत्तर-यूरोप में राष्ट्रीयता की भावना के विकास में फ्रांस की राज्यक्रांति तत्पश्चात् नेपोलियन के आक्रमणों ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। यूरोप के कई राज्यों में नेपोलियन के अभियानों द्वारा नवयुग का संदेश पहुँचा। नेपोलियन ने जर्मनी और इटली के राज्यों को भौगोलिक नाम की परिधि से बाहर कर उसे वास्तविक एवं राजनीतिक रूपरेखा प्रदान की, जिससे इटली और जर्मनी के एकीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ। दूसरी तरफ नेपोलियन की नीतियों के कारण फ्रांसीसी प्रभुत्व और आधिपत्य के विरुद्ध यूरोप में देश भक्तिपूर्ण विक्षोभ भी जगा। इस प्रकार यूरोप में राष्ट्रवाद को फैलाने में नेपोलियन बोनापार्ट की अहम भूमिका थी ।

प्रश्न 4. गैरीबाल्डी के कार्यों की चर्चा करें।

उत्तर-गैरीबाल्डी ने अपने कर्मचारियों तथा स्वयं सेवकों की सशस्त्र सेना बनायी। उसने अपने सैनिकों को लेकर इटली के प्रांत सिसली तथा नेपल्स पर आक्रमण किए। इन रियासतों की अधिकांश जनता बूर्वो राजवंश के निरंकुश शासन से तंग होकर गैरीबाल्डी की समर्थक बन गयी। गैरोबाल्डी ने यहाँ गणतंत्र की स्थापना की तथा विक्टर इमैनुएल के प्रतिनिधि के रूप में वहाँ की सत्ता संभाली। दक्षिणी इटली के जीते गए क्षेत्रों को बिना किसी संधि के गैरीबाल्डी ने विक्टर इमैनुएल को सौंप दिया। वह अपनी सारी सम्पत्ति राष्ट्र को समर्पित कर साधारण किसान की भाँति जीवन जीने की ओर अग्रसर हुआ। इटली के एकीकरण में गैरीबाल्डी का महत्त्वपूर्ण योगदान था ।

प्रश्न 5. विलियम । के बगैर जर्मनी का एकीकरण बिस्मार्क के लिए असंभव था, कैसे ?

उत्तर-विलियम प्रथम राष्ट्रवादी विचारों का पांषक था। उसके सुधारों के फलस्वरूप जर्मनी में औद्योगिक क्रांति की हवा तेज हो गयी साथ ही आधारभूत संरचना में भी काफी सुधार हुए, जिससे जर्मन राष्ट्रों को एकता के सूत्र में बाँधने के प्रयास तेज हुए। विलियम ने एकीकरण के उद्देश्य को ध्यान में रखकर महान कूटनीतिज्ञ बिस्मार्क को अपना चांसलर नियुक्त किया । अन्ततः प्रशा के नेतृत्व में जर्मनी का एकीकरण संभव हुआ जिसमें विलियम । का महत्त्वपूर्ण योगदान था। अगर बिस्मार्क को विलियम । का नमर्थन नहीं मिलता तो जर्मनी का एकीकरण असंभव था ।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. इटली के एकीकरण में मेजनी, कावूर और गैरीबाल्डी के योगदान को बतावें ।

उत्तर:- इटली के एकीकरण में मेजनी, कावूर और गैरीवाल्डी के निम्नलिखित योगदान थे-

मेजनी:- मेजनी साहित्यकार, गणतांत्रिक विचारों का समर्थक और योग्य सेनापति था। मेजनी सम्पूर्ण इटली का एकीकरण कर उसे एक गणराज्य बनाना चाहता था जबकि सार्डिनिया पिडमौंट का शासक चार्ल्स एलबर्ट अपने नेतृत्व में सभी प्रांतों का विलय चाहता था। उधर पोप भी इटली को धर्मराज्य बनाने का पक्षधर था। इस तरह विचारों के टकराव के कारण इटली के एकीकरण का मार्ग अवरुद्ध हो गया था। कालांतर में आस्ट्रिया द्वारा इटली के कुछ भागों पर आक्रमण किए जाने लगे जिसमें सार्डिनिया के शासक चार्ल्स एलबर्ट की पराजय हो गयी। आस्ट्रिया के हस्तक्षेप से इटली में जनवादी आंदोलन को कुचल दिया गया। इस प्रकार मेजनी की पुनः हार हुई और वह पलायन कर गया।

1848 ई० तक इटली के एकीकरण के लिए किए गए प्रयास वस्तुतः असफल हो रहे परंतु धीरे-धीरे इटली में इन आंदोलन के कारण जनजागरूकता बढ़ रही थी और राष्ट्रीयता को भावना तीव्र हो रही थी। इटली में मार्टिनिया पिडमीट का नया शासक विक्टर इमैनुएल राष्ट्रवादी विचारधारा का था और उसके प्रयास से इटली के एकीकरण का कार्य जारी रहा। अपनी नीति के क्रियान्वयन के लिए विक्टर ने काउंट काबूर को प्रधानमंत्री नियुक्त किया।

काउंट काबूर:- काबूर एक सफल कूटनीतिज्ञ एवं राष्ट्रवादी था। वह इटली के एकीकरण में सबसे बड़ी बाधा आस्ट्रिया को मानता था। अतः उसने आस्ट्रिया को पराजित करने के लिए फ्रांस के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाया। 1953-54 ई० के क्रीमिया युद्ध में काबूर ने फ्रांस की ओर से युद्ध में सम्मिलित होने की घोषणा कर फ्रांस का राजनीतिक समर्थन हासिल किया। काबूर ने नेपोलियन III से भी एक संधि की जिसके तहत फ्रांस ने आस्ट्रिया के खिलाफ पिडमौण्ट को सैन्य समर्थन देने का वादा किया। बदले में नीस और सेवाय नामक दो रियासतें काबूर ने फ्रांस को देना स्वीकार किया।

1860-61 में काबूर ने सिर्फ रोम को छोड़कर उत्तर तथा मध्य इटली की सभी रियासतों (परमा, मोडेना, टसकनी, फव्वारा, बेलाजोना आदि) को मिला लिया तथा जनमत संग्रह कर इसे पुष्ट भी कर लिया। 1862 ई० तक दक्षिण इटली रोम तथा वेनेशिया को छोड़कर बाकी रियासतों का विलय रोम में हो गया और सभी ने विक्टर इमैनुएल को शासक माना ।

गैरीबाल्डी:- इसी बीच महान क्रांतिकारी गैरीबाल्डी सशस्त्र क्रांति के द्वारा दक्षिणी इटली के रियासतों के एकीकरण तथा गणतंत्र की स्थापना करने का प्रयास कर रहा था। गैरीबाल्डी ने अपने कर्मचारियों तथा स्वयं सेवकों की सशस्त्र सेना बनायी। उसने अपने सैनिकों को लेकर इटली के प्रांत सिसली तथा नेपल्स पर आक्रमण किए। इन रियासतों की अधिकांश जनता बूबों राजवंश के निरंकुशशासन से तंग होकर गैरीबाल्डी की समर्थक बन गई। गैरीबाल्डी ने यहाँ गणतंत्र की स्थापना की तथा विक्टर इमैनुएल के प्रतिनिधि के रूप में वहाँ की सत्ता संभाली। दक्षिणी इटली के जीते हुए क्षेत्र को बिना किसी संधि के गैरीबाल्डी ने विक्टर इमैनुएल को सौंप दिया। उसने अपनी सारी सम्पत्ति राष्ट्र को समर्पित कर दी। 1871 ई० तक इटली का एकीकरण मेजनी, काबूर और गैरीबाल्डी जैसे राष्ट्रवादी नेताओं के योगदान के कारण पूर्ण हुआ ।

प्रश्न 2. जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क की भूमिका का वर्णन करें।

उत्तर-बिस्मार्क जर्मन डायट में प्रशा का प्रतिनिधि हुआ करता था और अपनी सफल कूटनीति का लगातार परिचय देता आ रहा था। वह निरंकुश राजतंत्र का समर्थन करते हुए जर्मनी के एकीकरण के प्रयास में जुट गया। यह उसकी कूटनीतिक सफलता थी कि चाहे उदारवादी राष्ट्रवादी हों या कट्टरवादी राष्ट्रवादी सभी उसे अपने विचारों का समर्थक समझते थे। बिस्मार्क जर्मन एकीकरण के लिए ‘रक्त और लौह’ नीति का अवलम्बन किया। उसने अपने देश में अनिवार्य सैन्य सेवा लागू कर दी।

बिस्मार्क ने अपनी नीतियों से प्रशा का सुदृढ़ीकरण किया। बिस्मार्क ने आस्ट्रिया के साथ मिलकर 1864 ई० में श्लेशविग और हॉलेस्टीन राज्यों के मुद्दे को लेकर डेनमार्क पर आक्रमण कर दिया क्योंकि उन पर डेनमार्क का नियंत्रण था। जीत के बाद श्लेशविग प्रशा के अधीन हो गया और हॉलेस्टीन आस्ट्रिया को प्राप्त हुआ। चूँकि इन दोनों राज्यों में जर्मनों की संख्या अधिक थी अतः प्रशा ने जर्मन राष्ट्रवादी भावनाओं को भड़काकर विद्रोह फैला दिया जिसे कुचलने के लिए आस्ट्रिया की सेना को प्रशा के क्षेत्र को पार करते हुए जाना था और प्रशा ने आस्ट्रिया को ऐसा कसं से रोक दिया।

1866 ई० में आस्ट्रिया ने प्रशा के खिलाफ सेडोवा में युद्ध की घोषणा कर दी और आस्ट्रिया युद्ध में बुरी तरह पराजित हुआ। इस तरह आस्ट्रिया का जर्मन क्षेत्र से प्रभाव समाप्त हो गया और इस तरह जर्मन एकीकरण का दो तिहाई कार्य पूरा हो गया।

शेष जर्मनी के लिए फ्रांस से युद्ध करना आवश्यक था। क्योंकि जर्मनी के दक्षिणी रियासतों के मामले में फ्रांस हस्तक्षेप कर सकता था। 19 जून, 1870 ई० को फ्रांस के शासक नेपोलियन ने प्रशा के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी और सेडान की लड़ाई में फ्रांसीसियों की जबर्दस्त हार हुई। 10 मई 1871 ई० को फ्रैंकफर्ट की संधि के द्वारा दोनों राष्ट्र के बीच शांति स्थापित हुई। इस प्रकार सेडान के युद्ध में ही एक महाशक्ति के पतन पर दूसरी महाशक्ति जर्मनी का उदय हुआ ।

अन्ततः जर्मन 1871 ई० तक एक एकीकृत राष्ट्र के रूप में यूरोप के राजनीतिक मानचित्र में स्थान पाया ।

प्रश्न 3. राष्ट्रवाद के उदय के कारणों एवं प्रभाव का वर्णन करें ।

उत्तर-राष्ट्रवाद आधुनिक विश्व की राजनीतिक जागृति का प्रतिफल है। यह एक ऐसी भावना है जो किसी विशेष भौगोलिक, सांस्कृतिक या सामाजिक परिवेश में रहनेवाले लोगों में एकता की वाहक बनती है।

राष्ट्रवाद की भावना का बीजारोपण यूरोप में पुनर्जागरण के काल में ही हो चुका था। परन्तु 1789 ई० की फ्रांसीसी क्रांति से यह उन्नत रूप में प्रकट हुई। 19वीं शताब्दी में तो यह उन्नत एवं आक्रामक रूप में सामने आई ।

यूरोप में राष्ट्रीयता की भावना के विकास में फ्रांस की राज्य क्रांति तत्पश्चात नेपोलियन के आक्रमणों ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। फ्रांसीसी क्रांति ने राजनीति को अभिजात्यवर्गीय परिवेश से बाहर कर उसे अखबारों, सड़कों और सर्वसाधारण की वस्तु बना दिया। यूरोप के कई राज्यों में नेपोलियन के अभियानों द्वारा नवयुग का संदेश पहुँचा। नेपोलियन ने जर्मनी और इटली के राज्यों को भौगोलिक नाम की परिधि से बाहर कर उसे वास्तविक एवं राजनीतिक रूपरेखा प्रदान की, जिससे इटली और जर्मनी के एकीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ। दूसरी तरफ नेपोलियन की नीतियों के कारण फ्रांसीसी प्रभुता और आधिपत्य के विरुद्ध यूरोप में देशभक्तिपूर्ण विक्षोभ भी जगा ।

राष्ट्रवाद ने न सिर्फ दो बड़े राज्यों के उदय को ही सुनिश्चित नहीं किया बल्कि अन्य यूरोपीय राष्ट्रों में भी इसके कारण राजनीतिक उथल-पुथल शुरू हुए। हंगरी, बोहेमिया तथा यूनान में स्वतंत्रता आंदोलन इसी राष्ट्रवाद का परिणाम था। इसी के प्रभाव ने ओटोमन साम्राज्य के पतन की कहानी को अंतिम रूप दिया। बालकन क्षेत्र में राष्ट्रवाद के प्रसार ने स्लाव जाति को संगठित कर सर्बिया को जन्म दिया।

इस प्रकार यूरोप में जन्मी राष्ट्रीयता की भावना ने प्रथमतः यूरोप को एवं अन्ततः पूरे विश्व को प्रभावित किया, जिसके फलस्वरूप यूरोप के राजनीतिक मानचित्र में बदलाव तो आया ही साथ-साथ कई उपनिवेश भी स्वतंत्र हुए ।

प्रश्न 4. जुलाई 1830 ई० की क्रांति का विवरण दें।

उत्तर- चार्ल्स दशम एक निरंकुश एवं प्रतिक्रियावादी शासक था, जिसने फ्रांस में उभर रही राष्ट्रीयता तथा जनतंत्रवादी भावनाओं को दबाने का कार्य किया। उसने अपने शासनकाल में

संवैधानिक लोकतंत्र की राह में कई गतिरोध उत्पन्न किए। उसके द्वारा नियुक्त प्रधानमंत्री

पांलिग्नंक ने पूर्व में लुई अठारहवें के द्वारा स्थापित समान नागरिक संहिता के स्थान पर शक्तिशाली अभिजात्य वर्ग की स्थापना तथा उसे विशेषाधिकार से विभूषित करने का प्रयास किया। उसके इस कदम को उदारवादियों ने चुनौती तथा क्रांति के विरुद्ध षडयंत्र समझा। प्रतिनिधि सदन एवं दूसरे उदारवादियों ने पोलिग्नेक के विरुद्ध गहरा असंतोष प्रकट किया। चार्ल्स दशम ने इस विरोध की प्रतिक्रियास्वरूप 25 जुलाई, 1830 ई० को चार अध्यादेशों द्वारा उदार तत्त्वों का गला घोंटने का प्रयास किया। इन अध्यादेशों के विरोध में पेरिस में क्रांति की लहर दौर गई और फ्रांस में 28 जून 1830 ई० से गृहयुद्ध आरंभ हो गया, इसे ही जुलाई 18.30 ई० की क्रांति कहा जाता है। परिणामतः चार्ल्स दशम को फ्रांस की राजगद्दी त्यागकर इंगलैण्ड भागना पड़ा और इस प्रकार फ्रांस में बूबों वश के शासन का अंत हो गया।

फ्रांस में 1830 ई० की क्रांति के परिणामस्वरूप बूबों वंश के स्थान पर आलेंयेंस वंश को गद्दी सौंपी गई। इस वंश के शासक लुई फिलिप ने उदारवादियों, पत्रकारों तथा पेरिस की जनता के समर्थन से सत्ता प्राप्त की थी। अतएव उसकी नीतियाँ उदारवादियों के पक्ष में तथा संवैधानिक गणतंत्र के निमित रही ।

प्रश्न 5. यूनानी स्वतंत्रता आंदोलन का संक्षिप्त विवरण दें।

उत्तर-यूनान का अपना गौरवमय अतीत रहा है जिसके कारण उसे पाश्चात्य इतिहास का स्त्रोत माना जाता था। यूनानी सभ्यता की साहित्यिक प्रगति, विचार, दर्शन, कला, चिकित्सा विज्ञान आदि क्षेत्र की उपलब्धियाँ यूनानियों के लिए प्रेरणा स्रोत थे। पुनर्जागरण के काल में इनसे प्रेरणा लेकर पाश्चात्य देशों ने अपनी तरक्की शुरू की। परन्तु इसके बाबजूद भी यूनान तुर्की के अधीन था ।

फ्रांसीसी क्रांति से यूनानियों में राष्ट्रीयता की भावना की लहर जागी, क्योंकि धर्म, जाति और संस्कृति के आधार पर उनकी पहचान एक थी। फलतः तुर्की शासन से अलग होने के लिए आंदोलन की शुरूआत हुई। इसके लिए इन्होंने हितेरिया फिलाइक नामक संस्था की स्थापना ओडेसा नामक स्थान पर की। इसका उद्देश्य तुर्की शासन को यूनान से निष्कासित कर उसे स्वतंत्र बनाना था। क्रांति के नेतृत्व के लिए यूनान में शक्तिशाली मध्यम वर्ग का उदय हो चुका था। यूनान सारे यूरोपवासियों के लिए प्रेरणा एवं सम्मान का पर्याय था। इंगलैंड का महान कवि लॉर्ड वायरन यूनानियों की स्वतंत्रता के लिए यूनान में ही शहीद हो गया। इससे यूनान की स्वतंत्रता के लिए सम्पूर्ण यूरोप में सहानुभूति की लहर दौड़ने लगी। उधर रूस भी अपनी साम्राज्यवादी महत्त्वाकांक्षा तथा धार्मिक एकता के कारण यूनान की स्वतंत्रता का पक्षधर था ।

यूनान में विस्फोटक स्थिति तब बन गई जब तुर्की शासन द्वारा यूनानी स्वतंत्रता संग्राम में संलग्न लोगों को बुरी तरह कुचलना शुरू किया गया। 1821 ई० में अलक्जेंडर चिपसिलांटी के नेतृत्व में यूनान में विद्रोह शुरू हो गया। रूस का जार अलक्जेंडर व्यक्तिगत रूप से तो यूनानी व राष्ट्रीयता के पक्ष में था परंतु आस्ट्रिया के प्रतिक्रियावादी शासक मेटरनिख के दबाव के कारण खुलकर सामने नहीं आ पा रहा था। जब नया जार निकोलस आया तो उसने खुलकर यूनानियों का समर्थन किया। अप्रैल 1826 ई० में ग्रेट ब्रिटेन और रूस में एक समझौता हुआ कि वे तुर्की-यूनान विवाद में मध्यस्थता करेंगे। 1827 ई० में लंदन में एक सम्मेलन हुआ जिसमें इंगलैंड, फ्रांस तथा रूस ने मिलकर तुर्की के खिलाफ तथा यूनान के समर्थन में संयुक्त कार्यवाही करने का निर्णय लिया। इस प्रकार तीनों देशों की संयुक्त सेना नावारिनों की खाड़ी में तुर्की के खिलाफ एकत्रित हुई । तुर्की के समर्थन में सिर्फ मिस्त्र की सेना आई। युद्ध में मिस्त्र और तुर्की की सेना बुरी तरह पराजित हुई फिर अन्ततः 1829 ई० में एड्रियानोपल की संधि हुई, जिसके तहत तुर्की की नाम मात्र की प्रभुता में यूनान को स्वायत्तता देने की बात तय हुई। परन्तु यूनानी राष्ट्रवादियों ने संधि की बातों को मानने से इंकार कर दिया। उधर इंगलैण्ड और फ्रांस भी यूनान पर रूस के प्रभाव की अपेक्षा इसे स्वतंत्र देश बनाना बेहतर मानते थे। फलतः 1832 ई० में यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया गया। बबेरिया के शासक ओटो को स्वतंत्र यूनान का राजा घोषित किया गया।